हनुमान का सीताजी से चूड़ामणि निशानी पाना | किष्किंधा लौटना | राम का लंका कूच का आदेश | रामायण
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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लंका का दहन करने के पश्चात वापस अशोक वाटिका पहुँचे हनुमान जी माता सीता से कहते है कि वह लंका दहन करने के साथ रावण का वध भी कर सकते थे, लेकिन श्री राम की इसके लिए आज्ञा नहीं थी। साथ ही वह माता सीता से अनुरोध करते है कि वह उन्हें कोई सी निशानी दे जिससे प्रभु राम को विश्वास हो जाए कि वह सीता जी से मिलकर आए है। सीता जी हनुमान को अपना चूड़ामणि देने के साथ श्री राम को सुनाने के लिए अपने साथ घटित उस प्रसंग को सुनाती है जिसमें जब एक बार कौवे का रूप धारण करके इन्द्र के पुत्र जयन्त ने उनके पैर में चोंच मार दी थी। जिसे देख कर क्रोधित श्री राम द्वारा चलाए गए सरकण्डे का बाण के बचने के लिए वह श्री राम के शरणागत हो गया था, तब श्री राम ने उसे प्राणदान के साथ उसकी एक आँख को फोड़ कर दण्डित भी किया था। हनुमान जी माता सीता को सांत्वना देते है कि श्री राम शीघ्र लंका आकर उन्हें रावण के चंगुल से मुक्त कराएंगे। लंका से वापस किषकिन्धा लौट कर हनुमान जी अंगद और जामवन्त के साथ श्री राम के समक्ष उपस्थित होकर उन्हें सीता जी की मनोस्थिति से अवगत कराने के साथ सीता जी का सन्देश और चूड़ामणि देते है। जिसे देख कर श्री राम भावुक हो जाते है और सुग्रीव को सेना के साथ मंत्रणा कर लंका की ओर कूच करने का आदेश देते है और साथ ही हनुमान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
संसार में मनुष्य को धर्म के अनुरुप मर्यादित जीवन जीने की शिक्षा देने के लिए युगों से विभिन्न कथाओं के माध्यम से शिक्षित करने का प्रयास किया गया है। सनातन धर्म में कथाओं को विशेष महत्व है और मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर के लिए कथा, हर पूजा-विधान के लिए कथा। इन कथाओं को सुनने व अनुसरण करने से मानव के सामाजिक जीवन में विशेष प्रभाव पड़ता है और रामायण और भगवत् गीता जैसे महान ग्रंथो (कथाओं) में मानव जीवन का सार छुपा है। यह दिव्य कथाएं धार्मिक, सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों से परिचय करा मनुष्य को सामाजिक जीवन जीने के कला को निपुण बनाने का कार्य करने के साथ प्रेरणा का कार्य करती है। “तिलक” अपने इस नये संकलन “दिव्य कथाएं” में सर्वप्रथम रामायण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
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